श्री गणेश चतुर्थी आरती

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची। नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची। सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची। कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥ जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती। दर्शनमात्रे मन कामनांपुरती॥  रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा। चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा। हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा। रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥  जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती। दर्शनमात्रे मन कामनांपुरती॥  लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना। सरळContinue reading “श्री गणेश चतुर्थी आरती”

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