Moral Story in Hindi Kahaniya

Hi, here you will get best Moral Story in Hindi Kahaniya with meaning and learning. If you love Hindi Kahani, you can go through below best Moral Stories in Hindi.

Moral Story in Hindi Kahaniya No. 1:

चुनाव हमेशा हमारे हाथ होता है

काफी सदियों पहले प्रयागराज नामक एक गांव में एक ब्राह्मण रहा करता था। एक दिन उसने यह निश्चय किया की उसे सांसारिक जीवन त्याग कर सत्य की खोज करने निकलना चाहिए। फिर उसने सन्यास ले लिया और वो पास ही के एक जंगल में रहने लगा । दिन रात वो आँखे बंद कर ध्यान करता। लेकिन भोजन की खोज में उसे जंगल से बहार आकर गांव में भिक्षा मांगनी पड़ती थी जिससे उसे हमेशा परेशानी होती थी।

एक दिन जब जंगल वो में सफर कर रहा था तब उसने रास्ते में एक लोमड़ी को घायल हालत में देखा। लोमड़ी के २ पांव टूट चुके थे और वो जरा भी हिल नहीं पा रही थी। इतना होने के बावजूद भी ब्राह्मण ने देखा, लोमड़ी तंदुरुस्त है और उसके चेहरे पर कोई परेशानी नहीं दिखाई पड़ रही।

ब्राह्मण सोच में पड़ गया “ये लोमड़ी चल भी नहीं सकती फिर भी काफी तंदुरुस्त हे, तो इसे खाना कहा से मिलता होगा?” काफी देर सोचने के बाद ब्राह्मण ने ठान लिया की वो इसका राज जान कर रहेगा। फिर उसने उसी जगह ध्यान करने का निश्चय किया।

जब रात हो गयी तब ध्यान करते समय उसे एक शेर की गर्जना सुनाई दी। डर के मारे ब्राह्मण पास ही के एक पेड़ पर चढ़ गया। उसने देखा की शेर के मुंह में एक हिरन हे और वो उसे की तरफ बढ़ रहा हे। जब शेर पास आया तो उसने देखा की शेर ने वो हिरन के मांस का कुछ हिस्सा उस लोमड़ी को दे दिया और फिर शेर वहाँ से चल पड़ा।

ब्राह्मण ये देख सुन्न हो गया। “ये तो प्रकृति के खिलाफ है। ये एक आश्चर्य है।” ब्राह्मण मन ही मन बड़बड़ाया। फिर उसने सोचा ” शायद ये एक दैवी सन्देश है। शायद भगवन इस घटना के सहारे मुझ से कुछ कहना चाहते है। क्या हे वो सन्देश, क्या हे वो सन्देश?”

काफी समय बीतने के बाद जय उसे वो सन्देश नहीं मिला तो उसने मन ही मन अपना खुद का सन्देश बना डाला। शायद भगवन मुझसे ये कहना चाहते हे की “इस वीरान जंगल में अगर एक लोमड़ी को अपना भोजन आसानी से मिल सकता हे, तो अरे मुर्ख, तू तो फिर भी एक इंसान हे, तू भोजन की चिंता क्यों करता हे, तू बस ध्यान कर, खाना खुद-ब-खुद तेरे पास चला आएगा।”

फिर क्या था, अगले दिन से उसने खाने की परवाह करे बगैर सिर्फ ध्यान करना ठीक समझा। दिन बीतने लगा, रात हो गयी, मगर खाना नहीं आया। लेकिन ब्राह्मण भी इरादे का पक्का था।  खाने की परवाह किये बगैर वो सो गया। आखिर भगवन का सन्देश जो मिला था। अगले दिन भी उसने सिर्फ ध्यान किया, लेकिन खाना नहीं आया।

दस दिन बीत चुके, खाना आया ही नहीं। ब्राह्मण की हालत ख़राब हो गयी। अब उस से ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। उसी दौरान एक सच्चे सन्यासी गुरु वहाँ से गुजर रहे थे। उन्होंने ब्राह्मण की हालत देखी और पूछा “ये कैसे हो गया।” ब्राह्मण ने गुरुदेव को लोमड़ी की कहानी सुनाई और पूछा “आप ही बताइये, इसमें वाकई भगवान का सन्देश नहीं हे क्या?”

गुरुदेव बोले “यक़ीनन ये के दैवी सन्देश हे। लेकिन तुम ये बताओ, शेर का चुनाव करने के बजाये तुमने अपने आप को लोमड़ी बनाना क्यों चुना?”

गुरुदेव का ये जवाब सुन कर ब्राह्मण को अपनी बेवकूफी समझ आयी और उसने उनके पैर छू लिए।

Moral of the story: चाहे जिंदगी कौन सी भी समस्या खड़ी कर दे, चुनाव हमेशा हमारे हाथ में होता हे।

This was the 1st Moral Story in Hindi. Below is 2nd Moral Story in Hindi.

Moral Story in Hindi Kahaniya No. 2:

कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम हे केहना

मिथिला नामक नगरी में एक बूढ़े पति-पत्नी रहते थे। एक दिन उन्होंने शहर जाकर एक गधा खरीद लिया। और फिर वे दोनों गधे पे सवार होकर अपने गांव की तरफ चल पड़े।

जब वे गांव वापिस लौट रहे थे, तब रास्ते में उन्हें एक आदमी मिला। उस आदमी ने दोनों पति-पत्नी और गधे की तरफ देखा और उसने से जोर से कहा “कितने दुष्ट हो तुम, दोनों के दोनों बेचारे गधे के ऊपर बैठ कर जा रहे हो।  बेचारे गधे के लिए तुम्हारे दिल में जरासी भी दया नहीं।” इतना कह कर वह आदमी चला गया।

उस आदमी की ये बात सुन कर पति-पत्नी को बुरा लगा और फिर पत्नी गधे के ऊपर से उतर गयी और पैदल चलने लगी।

फिर रास्ते में उन्हें एक दूसरा आदमी मिला। और उसने कहा “कितना निष्ठुर हे ये आदमी, बेचारी बीवी को पैदल चला रहे हो और खुद आराम से गधे पे सवार है।” इतना कह कर वह आदमी भी चला गया।

दूसरे आदमी की ये बात सुन कर पति तुरंत निचे उतर गया और उसने अपनी पत्नी को गधे पे बिठा दिया। लेकिन तब तक तीसरा आदमी आ चूका था और उसने पत्नी को गधे पे देख कहा “क्या बेवकूफ आदमी हे, इसमें मर्दानगी कुछ बी नहीं, खुद गधे पे बैठने के बजाये पत्नी को बिठा दिया हे।”

ये सुन ने के बाद, पति-पत्नी दोनों गधे पे ना बैठ कर पैदल चलने लगे।

तभी चौथा आदमी आ गया और उसने कहा “क्या बेवकूफ हे ये लोग, गधा साथ होते हुए भी पागल पैदल चल रहे हे।”

ये सुन कर पति-पत्नी अचंबित हो गए।

Moral of the story: लोगोंको सिर्फ कमिया निकालना आता हे, इसीलिए उनकी परवाह न करे और खुद पे भरोसा रखे। 

This was the 2nd Moral Story in Hindi. Below is 3rd Moral Story in Hindi.

Moral Story in Hindi Kahaniya No. 3:

सही निर्णय कैसे ले

प्राचीन भारत में एक संत हुआ करते थे। वे काफी बुद्धिमान थे। उनकी बुद्धिमता के कारन कई लोग उनसे मिलने आते थे और उनके यहाँ हमेशा भीड़ हुआ करती थी।

एक दिन राजा उनसे मिलने आये और उन्होंने देखा की ऐसा बुद्धिमान व्यक्ति उनके मंत्रिमंडल में होना चाहिए। तो उन्होंने संत से कहा “गुरुदेव आप कृपा करके मेरे राज्य का प्रधान मंत्री बन ना स्वीकार करे। क्योंकि आपके जैसा बुद्धिमान व्यक्ति एक पेड के निचे यूँ पूरी जिंदगी बैठकर व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। आपको लोगों के लिए उपयुक्त होना चाहिए।

संत ने कहा, “ठीक हे। में ऐसा करने के लिए तैयार हूँ, पर मेरी एक शर्त हे। मुझे आपके महल में एक कमरा चाहिए जहा में हर दिन १ घंटा बिताऊंगा। आप मुझसे कभी नहीं पूछेंगे की उस कमरे में क्या हे, में वहा क्या करता हूँ, नाही आप कभी उस कमरे में आएंगे और नाही आपके नौकर, सैनिक, गुप्तहेर वहा आएंगे।”

ये सुन कर राजा ने कहा “ये कोई समस्या नही हे। आपको आपका कमरा चाहिए, आप ले लो। भला मुझे इस से क्या तकलीफ हो सकती हे।

फिर वे संत प्रधान मंत्री बन गए। उन्होंने अपना रहने का लहजा, अपना पेहराव सबकुछ बदल दिया। लेकिन जब भी कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता था, वे उस कमरे में जाकर १ घंटे के लिए अपने आपको बंद कर देते थे।

फिर कुछ महीने, साल बीत गए और राजा की जिद्यासा बहार आने लगी। राजा जान न चाहते थे की आखिर उस कमरे में क्या हे और ये संत वहा क्या करता हे। महल से सारे लोग बाते करने लगे, आखिर ये आदमी उस कमरे में क्या करता हे, फिर कई तरह की अफ़वाए बढ़ने लगी, शायद वो एक तांत्रिक के, शायद उसने वहा किसीको रखा हे, शायद वो दुश्मन देश का गुप्तहेर हे, और न जाने क्या क्या लोग बोलने लगे।

सबको ये जानना था की उस कमरे में क्या हे, लेकिन वे जब भी यहाँ जाते, कमरे को हमेशा ताला लगा रहता था। सिर्फ संत वहा १ घंटे के लिए जाते थे और बहार आते थे, खास तौर पर, जब भी कोई बड़ा निर्णय लेना होता था ये संत अंदर जाता था।

एक दिन राजा खुदको रोक नही पाए और उन्होंने संत से पूछा, “में जानना चाहता हू की आप उस कमरे में क्या करते हे। संत ने कहा, “राजन तुमने मुज़हे वचन दिया हे और यदि तुम अपना वचन तोड़ोगे तो में यहाँ से चला जाऊंगा।” ये सुन कर राजा चुप हो गए क्योंकि वे उनके जैसा एक बुद्धिमान व्यक्ति खोना नाही चाहते थे।

लेकिन फिर राजा के आजु बाजू के लोग बोलने लगे, आप ये कैसे होने दे रहे हे, अगर उस कमरे कुछ खतरनाक हुआ तो, या फिर ये दुश्मन निकला तो।

एक दिन जब संत महल में नही थे, सब लोग वहा गए और उन्होंने उस कमरे का दरवाजा तोड़ दिया। उन्होंने देखा कमरा तो पूरी तरह खाली हे। वहा कुछ भी नही। वे सोच में पड़ गए, ये संत यहा क्या करता होगा। फिर उन्हें कोने में कुछ पुराने कपडे दिखाई दिए जिनके साथ एक भिक मांगने का भिक्षा पात्र था। राजा को समझ नही आया ये सब क्या हे।

तभी वे संत वहा आये और उन्होंने कहा,”राजन, तो आखिर आपने कमरा देख ही लिया। राजा ने पूछा,”आखिर आप यहा क्या करते हो।”

संत ने कहा, “देखो राजन, जब भी मुझे कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता हे, में यहा आता हू, ये पुराने कपडे पहनता हू और हाथ में वो भिक्षा पात्र लेके १ घंटे के लिए बैठ जाता हू। में नही चाहता की ये महल, ये कपडे, ये जेवर, इन सभी का मेरे निर्णय पर कोई प्रभाव हो। में हमेशा एक स्पष्टता के साथ निर्णय लेना चाहता हू। ये सबकुछ बस उसी के लिए हे।

लेकिन राजन, क्योंकि तुमने अपनी कसम तोड़ दी हे , तो में अब यहा नही रेह सकता और वे संत वहा से चले गए।

Moral of the story: जीवन में जब कभी कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना हो, तब अपने आजु बाहु की परिस्तिथिको अपने ऊपर हावी न होने दे, तभी आप सही निर्णय ले पाएंगे।

This was the 3rd Moral Story in Hindi. Below is 4th Moral Story in Hindi.

Moral Story in Hindi Kahaniya No. 4:

Leadership क्या होती हे

एक दिन एक शेर अपने ताकद और शौर्य पर अच्छा महसूस करने लगा। वो जंगल से टहल रहा था, तभी एक खरगोश वहा से गुजरा। शेर ने खरगोश को पकड़ा और गर्जा, “बताओ, जंगल का राजा कौन हे?” बेचारा खरगोश डर से कापने लगा, उसने कहा,”आप, आप महाराज, बेशक आप। “

फिर शेर ने उसे जाने दिया, थोडीसी अकड़ दिखाई, फिर उसे एक लोमड़ी मिली और उसने उसे दबोचा,”बताओ, जंगल का राजा कौन हे?” “ओह मेरे महाराज, बेशक आप, दूसरा कोई नही पर सिर्फ आप।” लोमड़ी ने जवाब दिया।

फिर शेर ने और थोड़ी अकड़ दिखाई, और कुछ जानवरों को पकड़ा, सब डर के मारे चीखने लगे, “आप ही जंगल के राजा हे।”

अब शेर पूरी अकड़ में आ चूका था और पुरे जंगल में गर्जना करते घूमने लगा। तब उसने एक हाथी को तालाब में पानी पीते देखा। वो वहा गया, हाथी के सामने खड़ा हो गया और उसने रौफ जमाते हुए पूछा, “बताओ, जंगल का राजा कौन हे।”

हाथी ने अपनी सूंढ़ निकली, शेर के शरीर पर लपेटी, उसे उठाया, थोड़े झटके दिए, और उसे जोर से जमीं पर पटक दिया।

शेर की पिट टूट गयी और उसने हलके आवाज में कहा,”तुम सिर्फ जवाब भी तो दे सकते थे।” हाथी ने हसकर कहा,” देखो, मुझे मेरी बात साबित भी करनी थी।”

मोरल ऑफ़ थे स्टोरी : बहोत सारे लोग सोचते हे की leadership का मतलब दूसरों के ऊपर अपना दबाव बनाना। दूसरों के ऊपर दबाव बनाना ये कोई management नही हे, नही तो कोई भी मुर्ख इसे कर लेता। Leadership का मतलब हे एक जिम्मेदारी, न की कोई ताकद। हम अक्सर सोचते हे leader मतलब एक निर्दयी, असंवेदनशील व्यक्ति जो हमेशा अपना रौफ जमाता हे। ये कभी भी एक अच्छे leader के पहचान नही हो सकती। Leadership आती हे संवेदनशील भावना से। Leader का मतलब आप वो देख पा रहे हे, जो अभी तक आपके आजु बाजू के लोगो ने नही देखा। तभी आप एक लीडर हे, वरना नही। लोग complaint लेके आते हे, आप तुरंत विरोध करते हे, ये कोई leadership नही ने। Leadership का मतलब आप में वो देखने की क्षमता हे, जिसे बाकि लोग नही देख पा रहे हे। Leadership मतलब आपकी दूरदृष्टि आपके आस पास के लोगोंसे काफी बड़ी हे।

This was the 4th Moral Story in Hindi. Below is 5th Moral Story in Hindi.

Moral Story in Hindi Kahaniya No. 5:

परिंदे की ३ शिक्षाए

एक दिन एक शिकारी ने एक छोटे परिंदे को पकड़ा। वो उसे मरने ही वाला था तब उस पंछी ने कहा, “देखो तुमने जिंदगी में कई बड़े जानवर मारे और खाये हे, फिर भी इसने तुम्हारे भूक हो शांत नही किया। में एक छोटा पंछी हू, मुझे मार के तुम्हे के क्या मिलेगा। अगर तुम मुझे जाने दोगे, तो में तुम्हे जिंदगी की ३ सबसे महत्वपूर्ण शिक्षाए दूंगा जिस से तुम्हारी जिंदगी उम्मीद से कही ज्यादा अमीर हो जाएगी।

पंछी ने आगे कहा, “पहली शिक्षा में तुम्हे तब दूंगा, जब में तुम्हारे हाथ में हूँगा। दूसरी, जब में तुम्हारे छत पारा हूँगा। और तीसरी, जब में पेड की सबसे उची टहनी पे हूँगा। “

शिकारी ने उस पंछी की तरफ देखा, पंछी काफी छोटा था। इस से तो नाश्ता भी ठीक से नही हो सकता था। तो उसने पंछी की बात मान ली और कहा, “ठीक हे, चलो दे दो मुझे वो ३ शिक्षाए।”

पंछी ने पहली सीख दी, “कोई भी कथन हो, फिर चाहे जो कोई भी वो करे, उस पर तुम कभी भी आँख बंद कर विश्वास न करना।

फिर वो उसके हाथ निकला गया, ऊपर छत पे जाके बैठा और उसने कहा, “अरे मुर्ख, तुमने मुझे जाने दिया। तुम्हे पता हे मै कौन हू? मेरे पेट में एक हिरा हे जिसका वजन २ किलो हे।”

ये सुन कर शिकारी अपने दुर्भाग्य पर अफ़सोस करने लगा, “अरेरे, इतना बड़ा हिरा, मैंने यूँही जाने दिया, में सच में एक मुर्ख हू।”

पंछी ने उसकी तरफ देखा और कहा, ” तुम सच में मुर्ख हो, मैंने अभी अभी तुम से कहा, कोई भी कथन हो, उस पर तुम्हे कभी भी आँख बंद कर विश्वास नही करना चाहिए। पर तुमने नही मन। मुझे देखो, मेरा वजन सिर्फ ५० ग्राम हे, भला मेरे पास २ किलो का हिरा कैसे हो सकता हे।

पंछी ने आगे कहा, “कोई बात नही, तुम्हारी दूसरी सीख ये हे – कभी भी पीछे मुड़के मत देखो और भूतकाल की किसी भी चीज़ का पछतावा मत करो।” इतना कह कर वो छत से निकल कर पेड पर जा बैठा।

इतना बताने के बावजूद वो शिकारी रोने और चीखे ने लगा, “नही, तुमने मुझे बेवकूफ बनाया। पहले मेरे हिरे का नुकसान किया और अब कह रहे हो की पछतावा ना करू।” और फिर काफी देर तक खेद करने के बाद जब वो थोड़ा संभल गया तब उसने पंछी से पूछा, “अच्छा, ठीक हे, पछतावा मत करो, अब बताओ, तीसरी शिक्षा क्या हे?

पंछी ने कहा, “तुमने पहले ही मेरी २ शिक्षाए नही मानी, अब तिसरी शिक्षा देके क्या फायदा। ‘कभी भी अपनी ऊर्जा एवं बुद्धिमता उनपर व्यर्थ मत करो जो तुम्हारी नही सुनते’। यही तुम्हारी तीसरी शिक्षा हे।” इतना कह कर वो पंछी उड़ गया।

This was the 5th Moral Story in Hindi. Below is 6th Moral Story in Hindi.

Moral Story in Hindi Kahaniya No. 6:

विनाश-काले विपरीत बुद्धि

एक सुतार अपनी कार्यशाला बंद करके घर चला गया। जब वह चला गया, तब एक जहरीले सांप ने उसकी कार्यशाला में प्रवेश किया।  
सांप काफी भूखा था और खाने की तलाश में उसने एक डंडे पे चढने की कोशिश की। लेकिन जैसेही वह चढने लगा डंडा निचे गिर गया और सांप एक छोर से दूसरे छोर तक फिसल गया और फिसलते हुए अंत में वह एक कुल्हाड़ी से जा टकरा और घायल हो गया।  
इस से सांप को काफी ग़ुस्सा आया और बदला लेने हेतु उसने कुल्हाड़ी को जोर से काट लिया। लेकिन सांप के काटने से धातु की कुल्हाड़ी को क्या हो सकता था? इसके बजाय सांप के मुंह से खून निकलने लगा। 
इस से और ज्यादा ग़ुस्सा होकर सांप ने अपने शरीर से कुल्हाड़ी को लपेट लिया और उसका गाला घोटने की कौशिक की। लेकिन परिणाम तो उलटा ही होना था। 
अगले दिन जब सुतारने अपनी कार्यशाला खोली, उसने कुल्हाड़ी के ब्लेड के आसपास मृत सांप को पाया।  

Moral of the story: कभी-कभी गुस्सा होने पर हम दूसरों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, हमें एहसास होता है कि हमने खुद को और अधिक नुकसान पहुँचाया है। यह जरूरी नहीं है कि हम हर चीज पर प्रतिक्रिया करें। कदम वापस रखें और अपने आप से पूछें कि क्या मामला वास्तव में जवाब देने लायक है।

This was the 6th Moral Story in Hindi. Below is 7th Moral Story in Hindi.

Moral Story in Hindi Kahaniya No. 6:

बुद्धिमान संत की शिक्षा

पाटलिपुत्र नामक शहर में एक बुद्धिमान संत रहा करते थे। गांव के कुछ लोग बार बार एक ही समस्या लेकर संत के पास आते थे। 
  
एक दिन संत ने उन सब लोगोंका एक चुटकूला सुनाया। लोग काफी हसने लगे। 
  
फिर कुछ देर संत चुप रहे और फिर उन्होंने वही चुटकुला वापिस सुनाया। वही चुटकुला वापिस सुन कर केवल कुछ ही लोग हल्कासा मुस्कुराये। 
  
संत वापिस कुछ देर चुप रहे और उन्होंने तीसरी बार वही चुटकुला सुना दिया। लेकिन इस बार कोई नहीं हँसा । 
  
फिर वे बुद्धिमान संत मुस्कुराये और बोले, "जब तुम एक चुटकुले पर बार बार नहीं हस  सकते, तो एक ही समस्या पर बार बार क्यों रोते हो।"
  
Moral of the story: चिंता करने से आपकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, इस से केवल आपका समय और ऊर्जा बर्बाद होगी। ___________________________________________________________________________________________
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